Tuesday, October 19, 2010

पुराना नीम का पेड़

ये कविता मैंने १ रोज़ जयपुर में सड़क किनारे टहलते वक़्त बैंच पर बैठ कर ही लिखी थी,,,
उस समय जयपुर को मेट्रो सिटी बनाने की जुगत चल रही थी,,,,




मैं सड़क किनारे बैंच  पर बैठा,
देख रहा हूँ गाड़ियों को यूँ ही दौड़ते हुए !
        कोई भी रुक नहीं रहा १ पल को भी,
        जैसे किसी के भी पास वक़्त नहीं जिंदगी के लिए!
सब करते हैं बड़ी-बड़ी बातें कि प्रदुषण बढ़ रहा है,
लेकिन ये भूल जाते हैं कौन है जिम्मेदार इसके लिए!
        कुछ साल पहले ये रास्ता वीरान हुआ करता था,
        अब लगता है यह भी शहर को अपनी बांहों में लिए!
१ पुराना नीम का पेड़ खड़ा है अपनी शाख फैलाये,
जैसे रहता है कोई भिखारी अपने हाथ फैलाये!
        सुना है अब मेट्रो सिटी बनेगा यह शहर भी,
        यह नीम भी देगा कुर्बानी ज़िन्दगी की १ मशीन के लिए!
पता नहीं क्यों सरकार पहले पेड़ काटती है,
और फिर लाखों पौधे लगाती है पब्लिसिटी के लिए!
        उनकी भी अगर देखभाल की जाये तो गम नहीं,
        लेकिन फिर वो भी तरस जाते हैं पानी कि १ बूँद के लिए!
१ चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही है,
जैसे वो भी तैयारी कर रही है यहाँ से विदाई के लिए!
        तभी कुछ टकराने कि आवाज ने ध्यान खींचा,
        देखा साइकिल को ठोका मर्सिडीज़ ने उसकी औकात दिखाने के लिए!
कुछ पल को सब रुके,
फिर चल पड़े अपने-अपने घर जाने के लिए!!!!!

4 comments:

  1. कोशिश अच्‍छी है। पर एक साथ इतनी सारी बातें। बेहतर है एक कविता में एक छोटी बात कहें।

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  2. हर चेहरा परेशान सा भागे जा रहा है
    ज़िन्दगीकी तलाश में
    ज़िन्दगी है की कहीं मिलती ही नहीं ......

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  3. aapki soch pak hai lekin vikas bhi ek sach hai jise nkara nhi ja skta hai .privrtan apne aap me ek avshykta hai our ydi ye vikas ke liye hai to nihsandeh iska swagat krna chahiye .aapne jo chidiya ka udahrn diya hai use aap yha se vidai ki trh na le kr bhvishy ki or manjil ki tlash me apne bchchoo ko taiyar krne ka jzba rkhti ek ma ke roop me lijiye to dekhiyega soch kitni aashawadi ho jayegi .
    in sbke bavjood aapke hridy me jo nmrta hai uska mai swagt out abhinndan krti hu
    rh gya swal pryavran ka to poudhe lgana hmara jnmsidh adhikar hai our hm is adhikar ka jitna pryog krna chahe kr skte hai .koshish me kya harj hai . bhai jyada likh diya ho to maf krna .

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  4. अच्छा प्रयास है भरत!
    आशीष

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