Sunday, September 5, 2010

"जख्मी दिल "

                            "जख्मी दिल "
Broken Heart Guy


जब भी होता हूँ तनहा अकेला,
ना जाने क्यूँ उसकी याद चली आती है!

एक वो घड़ी थी उसकी बाहों ने झकड़ा था मुझे प्यार से,
और एक ये पल है जब उसकी याद सताती है!

वो रातें जब सोता था उसे निहारते हुए,
एक ये रात है जब दिल की सदायें उसे बुलाती हैं!

मैंने तो कभी ना कहा था उसे जाने को,
फिर क्यूँ वो हर बार मुझे तनहा छोड़ जाती है!

वो कैसी है किस हाल में है,
रह-रहकर ये हूक दिल में उठ आती है!

जब भी आती है उसकी तस्वीर इन आँखों के सामने,
लगता है वो खुद ही मेरे पास खड़ी मुस्कुराती है!

लेकिन जब बढ़ाता हूँ उसे छूने को हाथ अपना,
वो भी पानी के बुलबुले-सी गुम हो जाती है!

मैंने कभी ना सोचा था की मैं उसकी यादों के भी लायक हूँ,
लेकिन वो हर बार किसी बिन मांगी मुराद-सी मिल जाती है!

जब कहा था उसने कि- हम किसी और कि अमानत हैं!
तो लगा ऐसे-जैसे रात के सन्नाटे में अचानक बिजली गिर जाती है!

हमने हारकर कहा उनसे अलविदा,
जैसे ना चाहते हुए भी कोई कली किसी कि ख़ुशी के लिए टूट जाती है!

आजतक ना किया उन्होंने इज़हार-ए-मोहब्बत,
और हम हैं कि हर बार जैसे तेज हवा के बाद कोई शाख सीधी हो जाती है!!!!!!

7 comments:

  1. भरत जी ,
    इन नादाँ उम्मीदों पर जरा लगाम लगाइए ....
    आप लिख सकते हैं ...और ये जरिया भी अच्छा है .....
    कोशिश जारी रखें. ......!!

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  2. भरत सिंह चारण जी

    हरकीरत ' हीर' जी की सलाह लाख रुपये की है … लिखने जैसा कोई और माध्यम नहीं ।

    अच्छा लिखा है और भी अच्छा लिखने के प्रयास जारी रखें ।
    हां , चित्र आपने स्वयं बनाया है ?

    शुभकामनाओं सहित …

    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. भरत भाई ब्‍लांगिग की दुनिया में स्‍वागत है। मेरा तो यह कहना है कि अपना ध्‍यान सामाजिक सरोकारों के विषय पर लगाइए। प्‍यार मोहब्‍बत की बातें बहुत लिखी जा रहीं है। मैं यह भी मानता हूं कि आप भी उम्र के उस दौर में हैं जब यह सब महसूस करते होंगे। पर यहां कुछ अलग दिखना है तो नादानी को परिपक्‍वता में बदलकर लाएं। अन्‍यथा नादान ही रह जाएंगे। शुभकामनाएं।

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  4. bhrat ji
    ped vhi pnpta hai jha beej pda ho . pryas krte rhe .bhut jldi ucheyo ko chhu lenge . rajesh ji ki tippni ko guru mntr mane unhone lakh tke ki bat khi hai
    vaise aapki bhavnaye bhut sundar hai .
    agr meri mane to
    biti tahi bisar de , aage ki sudh lei .yhi jeevan hai .

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  5. bhabha,
    rajesh ji survati samay me abhi aapse jyada hi ummide laga rhe h...magar umr ke is dor pyar ki bhi bate jaroori h ,,,,,,,,,,,,vase agar pichli 2 kavita per unki nazar jati to sayad mere dost rajeshji bhi man jate ki aap me 1 savandanshil hriday h.............baki meri subhkamnae aapke sath h...
    MRITUNJAY SAINI THE GREAT

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  6. bhabha ,
    rajeshji se mera nivadan h ki ve sambhndit rachanakar ki rachna SAMJDAR LOG pade, AApki siqayat khuch had tak door ho jayegi
    MRITUNJAY SAINI THE GREAT

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  7. Dear Bharat,
    Your creation is appreciable and today I found a new BHARAT.
    This poem is touch to my heart and feels that you have a sleeping lover in your heart.

    With hope for your better future

    CA NARAYAN TAK

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