Friday, September 3, 2010

ek ladke ki kahani



                   "समझदार लोग "






आज मैंने एक लड़के को रोते हुए देखा,
जैसे किसी को अपने सपने खोते हुए देखा!
                मैंने पूछा उससे- क्यों रो रहे हो?
                उसने मुझे कुछ मांगती नजरों से देखा!
लोगों ने कहा-वो अनाथ है उसे रहने दूँ, 
मैंने कहा- क्या ये नहीं है इंसान, जो इसके आंसू यूँ ही बहने दूँ! 
                लड़का बोला- मैंने रुपय्या माँगा, तो मुझे ऐसे पीटा गया,
                जैसे किसी निर्दोष को चोरी के इल्जाम में घसीटा गया!
मैंने कहा लोगों से- घर के जानवर को भी हम ऐसे नहीं दुत्कारते,
ये तो फिर भी इंसान है,मदद न सही, कम-से-कम यूँ तो न मारते!
                लड़के ने मेरी तरफ मुस्कुराती नजरे उठाई,
                जैसे बिन मौसम के गुलाब की कली खिल आई!
मैंने पूछा उससे- क्या चाहिए,
वो बोला- पापी पेट खाली है, उसका हिसाब चाहिए!
                मैंने दस रुपय्ये दिए और कहा- ये लो,
                उसने भी सोचा आज का तो हिसाब हुआ, ले लो!
बोला-बाबूजी,भगवान आपको सुखी रखे!
मैं मन में बोला-फिर वो तुझे क्यों दुखी रखे!
                वो दौड़कर चला खाने की दुकान की ओर,
                मैं भी मुड़ गया अपने मुकाम की ओर!
चल पड़ा  मैं ये सोचते हुए,
शायद कल फिर मिल जाये समझदार लोग उसके बाल नोंचते हुए!!!!!!!!!!!

1 comment:

  1. BHABHA,
    YE RACHNA AAPKE dwara rachit abhi taq ki srest rachana h,,,,,,,,,,,,,,,umid he aap is se bhi behter pryas karte rehenge
    mritunjay saini the great

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