Friday, August 23, 2013

मेरा शहर बड़ा अजीब है, और अजीब तरह से यहाँ गुजारी जाती हैं रातें,
एक तरफ इस शहर में बड़े लोग रहते हैं,और रंगीनियों में गुजारी जाती हैं रातें !
सब लोगों का रूतबा दिखाने को महफ़िलें सजाती हैं रातें,
हर रोज ख़ुशी में देर रात  तक जाम छलकाती है रातें !
कभी पब में तो कभी आलिशान होटलों में गुजारी जाती हैं रातें,
तेज बजता म्यूजिक और डिस्को लाइट्स पर नचाती हैं रातें,
किसी को  भी मस्त कर दे ऐसे ड्रग्स और सिगरेट्स के धुए उड़ाती हैं रातें,
चम-चमाती लक्जरी कारों में फिर लॉन्ग ड्राइव पर ले जाती हैं रातें !!!!
                 दूसरी तरफ कुछ गरीब भी हैं,जिनके लिए नींद का तोहफा लाती                 हैं रातें,
              दिन भर  हाड़तोड़ मेहनत के बाद 2 रोटी खिलाती हैं रातें,
              जब न हो पकाने को 4 दाने घर में,तो पानी पीकर गुजारी जाती हैं                रातें,
              बड़े लोगों की चका-चौंध भरी दुनिया से फासला दिखाती हैं रातें,
              सर्दी में अपने पैरों को पेट में सिकोड़कर गुजारी जाती हैं रातें,
              तो गर्मी में टपकते पसीने को पोंछकर काटी जाती हैं रातें,
              कुछ ऐसा है मेरा शहर नादान, जहाँ दोहरी ज़िन्दगी बिताती हैं                   रातें!!!!!!!

Sunday, November 14, 2010

रिश्तों के बदलते मायने

एक दफा ट्रेन में जयपुर से घर(नागौर) जा रहा था,सामने वाली सीट पर देखा कि हैप्पी फेमिली बैठी थी, देखकर बहुत अच्छा लगा,उनसे बातों में मशगुल था,,,तभी पीछे की सीट से जोर-जोर से चिल्लाने की आवाज सुनाई दी,पता चला एक पोता अपने दादा को पानी पीते समय थोडा पानी गिर जाने पर डांट रहा था,तब ये पंक्तियाँ जेहन में आ गयी....आपके सामने रख रहा हूँ!!!!!

Southern California Photographer - Danielle Simone - babies, children, families, relationship photography

काँच की तरह टूटकर बिखरते ये रिश्ते,
कभी सुख-दुःख में साथ निभाते थे जो रिश्ते!
        चलते वक़्त जब लड़-खड़ाकर गिरते थे हम,
        तो दौड़कर गोद में उठा लेते थे वो रिश्ते!
        आज जब चलने को सहारा माँगा पिता ने,
        तो डांटकर हाथ में लाठी थमाते ये रिश्ते!
        कहने को तो था ये लाठी थमाना उन्हें,
        लेकिन असल में उम्मीदों पर लाठी बरसाते ये रिश्ते!
रात में जब प्यास लगने पर रोते,
तो नींद से उठकर पानी पिलाते वो रिश्ते!
आज अगर माँ ने पानी माँगा,
तो झल्लाकर खुद को व्यस्त बताते ये रिश्ते!
कहने को तो था ये पानी ना पिलाना माँ को,
लेकिन असल में उम्मीदों की लुटिया डुबोते ये रिश्ते!
        बचपन में साथ खेलना और झगड़कर फिर से मनाना,
        ना जाने कहाँ गुम हो गए वो रिश्ते!
        आज छोटी-छोटी बातों पर कलह करना,
        और महीनों ना बतलाते ये रिश्ते!
बहिन जब बचपन में राखी बांधती,
तो चिढ़ाकर गिफ्ट ना देते वो रिश्ते!
आज वक़्त ना होने की बात कहकर,
राखी को जंजीर बतलाते ये रिश्ते!
        दादी की गोद में सोते-सोते कहानियां  सुनना,
        और कंधो पर बिठाकर गाँव में घुमाते वो रिश्ते!
        आज अगर माँगा थोडा वक़्त पास बैठने को,
        तो सठियाया हुआ कहकर पास से गुजरते ये रिश्ते!
कहने को तो थे ये कुछ नमूने,
लेकिन असल में रिश्तों का मतलब झुठलाते ये रिश्ते!
किसी ने किया है अगर ऐसा सुलूक माँ-बाप के साथ,
 तो तैयार रहे निभाने को ऐसे रिश्ते!
       क्योंकि ऊपर वाला सब देखता है,
       और बदले में देता है हमें अपने बराबर के रिश्ते!



Tuesday, October 19, 2010

पुराना नीम का पेड़

ये कविता मैंने १ रोज़ जयपुर में सड़क किनारे टहलते वक़्त बैंच पर बैठ कर ही लिखी थी,,,
उस समय जयपुर को मेट्रो सिटी बनाने की जुगत चल रही थी,,,,




मैं सड़क किनारे बैंच  पर बैठा,
देख रहा हूँ गाड़ियों को यूँ ही दौड़ते हुए !
        कोई भी रुक नहीं रहा १ पल को भी,
        जैसे किसी के भी पास वक़्त नहीं जिंदगी के लिए!
सब करते हैं बड़ी-बड़ी बातें कि प्रदुषण बढ़ रहा है,
लेकिन ये भूल जाते हैं कौन है जिम्मेदार इसके लिए!
        कुछ साल पहले ये रास्ता वीरान हुआ करता था,
        अब लगता है यह भी शहर को अपनी बांहों में लिए!
१ पुराना नीम का पेड़ खड़ा है अपनी शाख फैलाये,
जैसे रहता है कोई भिखारी अपने हाथ फैलाये!
        सुना है अब मेट्रो सिटी बनेगा यह शहर भी,
        यह नीम भी देगा कुर्बानी ज़िन्दगी की १ मशीन के लिए!
पता नहीं क्यों सरकार पहले पेड़ काटती है,
और फिर लाखों पौधे लगाती है पब्लिसिटी के लिए!
        उनकी भी अगर देखभाल की जाये तो गम नहीं,
        लेकिन फिर वो भी तरस जाते हैं पानी कि १ बूँद के लिए!
१ चिड़िया अपने बच्चों को उड़ना सिखा रही है,
जैसे वो भी तैयारी कर रही है यहाँ से विदाई के लिए!
        तभी कुछ टकराने कि आवाज ने ध्यान खींचा,
        देखा साइकिल को ठोका मर्सिडीज़ ने उसकी औकात दिखाने के लिए!
कुछ पल को सब रुके,
फिर चल पड़े अपने-अपने घर जाने के लिए!!!!!

Wednesday, September 8, 2010

याद

Thinking of You






















"अभी मसरूफ़ हूँ काफी,
कभी फुर्सत में सोचूंगा!
ऐ  जान, कि तुझको याद रखने में,
मैं क्या-क्या भूल जाता हूँ!!!!!!!"

Sunday, September 5, 2010

"जख्मी दिल "

                            "जख्मी दिल "
Broken Heart Guy


जब भी होता हूँ तनहा अकेला,
ना जाने क्यूँ उसकी याद चली आती है!

एक वो घड़ी थी उसकी बाहों ने झकड़ा था मुझे प्यार से,
और एक ये पल है जब उसकी याद सताती है!

वो रातें जब सोता था उसे निहारते हुए,
एक ये रात है जब दिल की सदायें उसे बुलाती हैं!

मैंने तो कभी ना कहा था उसे जाने को,
फिर क्यूँ वो हर बार मुझे तनहा छोड़ जाती है!

वो कैसी है किस हाल में है,
रह-रहकर ये हूक दिल में उठ आती है!

जब भी आती है उसकी तस्वीर इन आँखों के सामने,
लगता है वो खुद ही मेरे पास खड़ी मुस्कुराती है!

लेकिन जब बढ़ाता हूँ उसे छूने को हाथ अपना,
वो भी पानी के बुलबुले-सी गुम हो जाती है!

मैंने कभी ना सोचा था की मैं उसकी यादों के भी लायक हूँ,
लेकिन वो हर बार किसी बिन मांगी मुराद-सी मिल जाती है!

जब कहा था उसने कि- हम किसी और कि अमानत हैं!
तो लगा ऐसे-जैसे रात के सन्नाटे में अचानक बिजली गिर जाती है!

हमने हारकर कहा उनसे अलविदा,
जैसे ना चाहते हुए भी कोई कली किसी कि ख़ुशी के लिए टूट जाती है!

आजतक ना किया उन्होंने इज़हार-ए-मोहब्बत,
और हम हैं कि हर बार जैसे तेज हवा के बाद कोई शाख सीधी हो जाती है!!!!!!

Friday, September 3, 2010

आजादी की वर्षगाँठ पर......








भारत हमारा आगे बढ़े फिर से ये जगतगुरु बने,
आजादी की वर्षगाँठ पर आओ मिलकर संकल्प करें!
          लाख कोशिशें कर ले चाहे दुश्मन हमें हराने की,
          नाम तक मिटा देंगे उसका आओ सब ये प्रण करें!
हो देशभक्ति ही कर्म हमारा और यही पूजा-विधान रहे,
स्वार्थ भावना छोड़ सभी हर काम अब मिलकर करें!
          दुनिया आज मान रही लोहा,फिर से देती सम्मान हमें,
          नाम हमारा हो बुलंद सब एकता से मिलकर करें!
कुछ बाधाएं हैं समाज में भ्रष्टाचार-कुरीति की,
किन्तु इन्हें मिटने को सब एकजूट प्रयास करें!
          नहीं है कोई भी बाधा बड़ी रावण को मार गिराने से,
          बस एक बार अपने भीतर सोये राम का आह्वान करें!
जवान हमारे करते प्राणदान सीमा की रखवाली में,
कम-से-कम उनकी शहादत पर राजनीति को बंद करें!
          चाहे कोई अमीर हो या हो चाहे वो गरीब,
          हो हर घर से एक सपूत जो देश की रक्षा करे!
भगत-राजगुरु ने क्यूँ बलिदान दिया,गांधी ने जो प्रयास किया,
आओ मिल-जुलकर उनके सपनों को साकार करें!
          देशभक्ति का भाव जगाएं जन-जन यही प्रयास करे,
          भारत हमारा आगे बढे फिर से ये जगतगुरु बने,
          आजादी की वर्षगाँठ पर आओ मिलकर संकल्प करें!!!!!!!!



ek ladke ki kahani



                   "समझदार लोग "






आज मैंने एक लड़के को रोते हुए देखा,
जैसे किसी को अपने सपने खोते हुए देखा!
                मैंने पूछा उससे- क्यों रो रहे हो?
                उसने मुझे कुछ मांगती नजरों से देखा!
लोगों ने कहा-वो अनाथ है उसे रहने दूँ, 
मैंने कहा- क्या ये नहीं है इंसान, जो इसके आंसू यूँ ही बहने दूँ! 
                लड़का बोला- मैंने रुपय्या माँगा, तो मुझे ऐसे पीटा गया,
                जैसे किसी निर्दोष को चोरी के इल्जाम में घसीटा गया!
मैंने कहा लोगों से- घर के जानवर को भी हम ऐसे नहीं दुत्कारते,
ये तो फिर भी इंसान है,मदद न सही, कम-से-कम यूँ तो न मारते!
                लड़के ने मेरी तरफ मुस्कुराती नजरे उठाई,
                जैसे बिन मौसम के गुलाब की कली खिल आई!
मैंने पूछा उससे- क्या चाहिए,
वो बोला- पापी पेट खाली है, उसका हिसाब चाहिए!
                मैंने दस रुपय्ये दिए और कहा- ये लो,
                उसने भी सोचा आज का तो हिसाब हुआ, ले लो!
बोला-बाबूजी,भगवान आपको सुखी रखे!
मैं मन में बोला-फिर वो तुझे क्यों दुखी रखे!
                वो दौड़कर चला खाने की दुकान की ओर,
                मैं भी मुड़ गया अपने मुकाम की ओर!
चल पड़ा  मैं ये सोचते हुए,
शायद कल फिर मिल जाये समझदार लोग उसके बाल नोंचते हुए!!!!!!!!!!!